चौपाई
सीय राममय सब जग जानी। करउँ प्रणाम जोरि जुग पानी॥
सीताराम चरण रति मोरे । अनुदिन बढ़उँ अनुग्रह तोरे॥
मुखड़ा
प्रेम मुदित मन से सुनिए सियाराम विवाह कहानी
रामायण की अमर कथा ये अनुपम दिव्य सुहानी
अंतरा: १
मिथिला में श्रीरामचन्द्र ने शिव के धनुष को तोड़ा.
पूरी कर दी जनक प्रतिज्ञा सिया से नाता जोड़ा.
जनक ने लग्न पत्रिका दे कर दूत अवधपुर भेजा.
निज पुत्री के ब्याह का तक्षण हर सामान सहेजा.
अगहन मास के शुक्ल पक्ष की सुभग पंचमी प्यारी
शुभदिन-तिथि-शुभ लग्न मुहूर्त परम सुमंगलकारी
प्रेम मुदित मन से सुनिए सियाराम विवाह कहानी.
रामायण की अमर कथा ये अनुपम दिव्य सुहानी.
अंतरा:२
नगर नगर और डगर डगर में वन्दनवार लगे थे.
रंग- बिरंगी दीपशिखा से सब घर- द्वार सजे थे.
मिथिलापुर के राजभवन में बजी सुघर शहनाई.
उत्साहित थे नगरनिवासी चहुँदिशि खुशियाँ छाई.
तीन-लोक और दसों-दिशा के देव-दनुज सब आए.
अवधपुरी से दशरथ जी बारात जनकपुर लाए.
जनक ने जाकर जनवासे में की स्वागत अगवानी.
धन्य हुई मिथिला की धरती धन्य हुई राजधानी.
प्रेम मुदित मन से सुनिए सियाराम विवाह कहानी.
रामायण की अमर कथा ये अनुपम दिव्य सुहानी.
अंतरा:३
ढोल नगाड़े दुन्दुभि के संग पंडित वेद उच्चारे.
मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुड़ध्वज।
मंगलम पुण्डरी काक्षः, मंगलम तनो हरिः॥
तब जनवासे से बरात पहुंची विदेह के द्वारे.
द्वारचार मंगलाचरण की विधियाँ सभी निभाई.
तब विवाह बंधन में बंधने की शुभ बेला आई.
सिया राम, मांडवी भरत अरु श्रुतकीर्ति रिपुसदन.
संग शोभित उर्मिला लक्ष्मण मनहर दिव्य अनूपम.
ज्यों शिव-विष्णु और ब्रह्मा संग उमा-रमा-ब्रह्माणी.
दुलहा गुणनिधान थे चारों दुलहन शुभ गुणखानी.
प्रेम मुदित मनसे सुनिए सियाराम विवाह कहानी.
रामायण की अमर कथा ये अनुपम दिव्य सुहानी.
अंतरा:४
सप्तपदी और पाणिग्रहण की रीत पूर्ण कर लीन्ही.
फिर चारों दंपति ने अग्नि को सात भांवरी दीन्ही.
सात भांवरें सात जनम की सात प्रतिज्ञा पूरी.
इक इक कर के पूरी हो गई हर इक रस्म ज़रूरी.
ब्याह हुआ संपन्न जगत में गूँज उठे जयकारे.
जयति जयति मिथिलेशदुलारी जय अवधेश दुलारे.
दशरथ और जनक की जय जय शरयू कमला पानी.
जय जय अवधपुरी जगपावनि जय मिथिला वरदानी.
प्रेम मुदित मनसे सुनिए सियाराम विवाह कहानी.
रामायण की अमर कथा ये अनुपम दिव्य सुहानी.
अंतरा:५
चारों दुलहा चारों दुलहन कोहबर जाय पधारे.
सखियों के संगमें विनोद के कुछ पल सभी गुजारे.
राम कलेवा को पहुंचे तब सब मिथिला की नारी.
राम की माओं को गिन गिनकर देने लागी गारी.
तब सीता की माता ने चारों बहनों को बुलाया.
पत्नी पुत्रवधू के संग संग नारी धरम सिखाया.
सुखदायिनि लज्जा नारी की मर्यादा कल्याणी.
सास-ससुर-पति की सेवा से कभी न होवे हानी.
प्रेम मुदित मनसे सुनिए सियाराम विवाह कहानी.
रामायण की अमर कथा ये अनुपम दिव्य सुहानी.
अंतरा:६
परछन किया सुनैना ने सखियों ने मंगल गाया.
इसके बाद विदाई का अति भावुक अवसर आया.
तड़प उठा दिल फटा कलेजा झरझर आंसू बरसे.
बिटिया भई पराई हाय रे मात पिता के घर से.
सीताराम विवाह की पावन कथा सुने जो गावे.
पति-पत्नी निष्ठा से सदैव दंपति धर्म निभावे.
सुखको-दुखको हित-अनहित को आवश्यक अनुमानी.
है अनुभव प्रत्यक्ष रमन का साक्षी हैं शंभु भवानी.