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Kumbh Ki Mahima Nyari Hai(कुम्भ की महिमा न्यारी है )

महाकुम्भ के महापर्व की ख्याति जगत में न्यारी.
युगों- युगों की परम्परा शुभ अद्भुत अनुपम प्यारी.

वेद शास्त्र उपनिषद निरंतर जिसकी गाथा गायें,
तीनलोक चौदहों भुवनमें कुम्भ की महिमा भारी .

मुखड़ा

कुम्भ की महिमा न्यारी है-2
गाथा परम पुनीत सुपावन मंगलकारी है.
कुम्भ की महिमा न्यारी है-2

अंतराः1

एक बार देवों दैत्यों में शुरू हुआ रण भारी.
मार रहे थे एक दूजे को दोनों बारी बारी.
दैत्यों को आचार्यशुक्र जीवित करते दोबारा.
मरते-मरते देवों ने भी किया उपक्रम न्यारा.
असुरों संग सागर-मंथन की युक्ति-विचारी है.
कुम्भ की महिमा न्यारी है-2

अतराः2

चौदह रत्नों में पहला था कालकूट विष भारी।
देव दैत्य दोनों चिंताए पिये तत्काल त्रिपुरारी।
कामधेनु, रम्भा, उच्चैश्रवा, कल्पवृक्ष, शशि, कौस्तुभ।
पद्मराग, वारुणि, महालक्ष्मी, पांचजन्य, शारंग, धनु।
तब धन्वंतरि अरु अमृत की ऐ बारी है।
कुम्भ की महिमा न्यारी है-2

अंतरा:3

अमृत हेतु सुरों-असुरों में फिर से छिड़ी लड़ाई.
लीलाधारी नारायण तब लीला त्वरित रचाई.
विश्व मोहिनी रूप बनाकर भ्रमित दैत्यों को..
अमृत घट जयंत के द्वारा भिजवाये देवों को.
प्रभु की लीला परम मनोहर मंगलकारी है.
कुम्भ की महिमा न्यारी है-2

अंतराः4

अमृतघट लेकर जयंत श्रीहरि से आज्ञा लीन्ही.
सागर से इन्द्रासन तक बारहदिन यात्रा कीन्ही.
देवों का इक दिन होता है मानव वर्ष बराबर .
बिना रुके वो तीन दिनों तक चलते रहे निरंतर.
तीन दिनों के बाद कहीं विश्राम की बारी है.
कुम्भ की महिमा न्यारी है-2

अंतरा:5

इस यात्रा में जहाँ-जहाँ अमृतघट रखा गया है.
कुम्भक्षेत्र वेदों के द्वारा उनको कहा गया है.
तीनवर्ष पश्चात् कहीं इक कुम्भ सुनिश्चित होता.
अर्धकुम्भ कहीं महाकुम्भ सिंहस्थ कहीं पर होता.
हरिद्वार नाशिक प्रयाग उज्जयनी प्यारी है.
कुम्भ की महिमा न्यारी है-2

अंतराः6

बारह वर्षों बाद पुनः जब सुदिन सुमंगल आता.
उसी तीर्थ पर महाकुम्भ दोबारा अलख जगाता.
स्वर्गलोक के सभी देवगण धरा धाम पर आते.
गंगा – गोदावरी क्षिप्रा में अमृत धारा बहती।
आस्था की गहराई में श्रद्धा शुभकारी है.
कुम्भ की महिमा न्यारी है-2

अंतराः7

दुनिया भर के श्रद्धालू जन आकर शीश झुकाएं.
व्रत उपवास दान से अपना जीवन धन्य बनाएं.
पाप मुक्त होने को आतुर डुबकी यहाँ लगाएं.
अपनी पुण्य हथेली में कुछ अमृत लेकर जाएँ.
राजा रंक विरक्त तपस्वी सभी पुजारी हैं.
कुम्भ की महिमा न्यारी है-2

Immerse yourself in the sacred devotion of “Kumbh Ki Mahima Nyari Hai”, a powerful bhajan that glorifies the spiritual grandeur and timeless significance of the holy Kumbh Mela. This divine composition, presented by MusicHaat, beautifully captures the essence of faith, purity, and spiritual awakening. Following the soulful emotions expressed in Mohe Na Bisaaro He Shyaama Pyaaree, this bhajan takes you deeper into the path of devotion, reminding us of the divine blessings that flow through every sacred gathering. Let this spiritual melody elevate your soul and strengthen your connection with the divine.

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